सूरजपुर। एक ओर सरकार गांव–गरीबों के हक और अधिकार की बात करती है, वहीं दूसरी ओर उन्हीं ग्रामीणों की जमीन छीनने की कोशिशें अब खुलेआम सामने आने लगी हैं। सूरजपुर जिले के ग्राम पंचायत चंदोरा के ग्रामीणों ने शासन–प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि “हम से 100 से 150 वर्षों से जिस भूमि पर बसे हैं, उसी से अब हमें बेदखल करने की धमकी दी जा रही है।”

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यह भूमि ही उनके जीविकोपार्जन का आधार है, और यहीं उनकी तीन पीढ़ियाँ रह चुकी हैं। ग्रामीणों ने मांग की कि उन्हें वन अधिकार पत्र (Forest Rights Patta) प्रदान किया जाए ताकि वे अपने अधिकार के साथ जीवन यापन कर सकें।


दलित हैं, इसलिए छीन रहे हैं जमीन


ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि शासन–प्रशासन उनकी जाति देखकर व्यवहार कर रही है। उनका कहना है कि — “हम दलित हैं इसलिए हमारी जमीन छीनी जा रही है। अगर सरकार को हमसे इतनी ही दिक्कत है तो गोली चलवा दे, पर हम अपनी पुश्तैनी जमीन छोड़ने वाले नहीं हैं। जिंदा रहेंगे तो संघर्ष करेंगे, मर गए तो यह जमीन हमारी पहचान बनकर रहेगी।”


कांग्रेस नेता बोले – अन्याय नहीं सहेंगे


इस मौके पर कांग्रेस नेता शिवभजन सिंह मरावी ने ग्रामीणों के समर्थन में कहा कि “किसानों और गरीबों के साथ अन्याय किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार को चेतावनी है कि वह तुरंत ग्रामीणों को वन अधिकार पत्र दे और जमीन खाली कराने की धमकियाँ बंद करे। अगर जरूरत पड़ी तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगी।”


सवालों के घेरे में प्रशासन

ग्रामीणों की पुश्तैनी जमीन से बेदखली की कोशिश ने एक बार फिर प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहाँ एक ओर सरकार “सबका साथ, सबका विकास” का नारा देती है, वहीं दूसरी ओर गरीब, दलित और आदिवासी वर्ग अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर है।

चंदोरा के ग्रामीणों का कहना है कि अगर शासन ने उनकी बात नहीं सुनी, तो वे जमीन पर धरना और आमरण अनशन करने को मजबूर होंगे।

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